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तीनो लोको की है गंगा|

तीनो लोको की है गंगा| 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां गंगा को त्रिलोक पथ गामिनी कहा गया है। और मां गंगा तीनो ही लोकों में उपस्थित है। स्वर्ग में माता गंगा को मंदाकिनी के नाम से जाना जाता है तो वहीं पाताल में भागीरथी के नाम की संज्ञा दी गई है। माता गंगा का अवतरण धरती पर राजा भागीऱथ के कठोर तप से हुआ था। गंगा जी का महत्व इसीलिये भी बहुत ही अधिक है भारतीय संस्कृति में क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना गंगा नदी के किनारे ही की थी। दुनिया में केवल मां गंगा ही एकमात्र नदी हैं जिन्हें माता स्वरुप दर्जा दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी को मृत्यु के समय गंगाजल पिलाया जाये तो उस व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। और यही कारण है कि हर प्रकार के शुभ कार्य में गंगा जल का प्रयोग किया जाता है। मां गंगा का जन्म भगवान विष्णु के चरणों से ही प्रारम्भ हुआ है। और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु जी के चरण क्योंकि गुलाबी कमल रुपी है, इसी कारण गंगा का रंग गुलाबी माना गया है। माता गंगा का जी का संदर्भ सबसे पवित्र और पुरातन ग्रंथ ऋगवेद में भी है और इसी ग्रंथ में गंगा मां को जाह्नवी के नाम से संबोधित भी किया गया है।