ऐसा कहा जाता है कि महाराजा भागीरथ अपने पूर्वाजों के आत्मा की शांति के लिये तत्पर थे और माता गंगा को धरती पर लाना चाहते थे। ऐसा इसीलिये जरुरी था क्योंकि मां गंगा ही उनका उद्धार कर सकती थी और इसीलिये उन्होंने माता गंगा की बहुत ही कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से मां गंगा बहुत ही प्रसन्न हुयी और उन्हें दर्शन दिए ।
माता गंगा ने कहा "मैं पृथ्वी पर आने के लिये तत्पर हूँ किंतु मेरी धारा बहुत ही प्रबल है जोकि धरती पर विनाश का कारण बन सकती है। तो भागीरथ जी ने उनसे इसका उपाय पूछा तो मां गंगा ने शिव जी की ओर इंगित किया। और इसीलिये मां गंगा को शिव जी ने अपनी जटाओं में बांध लिया और उनका वेग कम हुआ ताकि धरती को प्रलय से बचाया जा सके। इसके बाद महाराज भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों की अस्थियों के सम्मान सहित मां गांगा की गोद में प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति दिलाई।
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.