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विंध्यवासिनी मां से जुड़ी विशेष बातें|

विंध्यवासिनी मां से जुड़ी विशेष बातें 

• मान्यताओं के अनुसार विंध्याचल पर्वत पर संकल्प लेने मात्र से साधकों को सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं. 

• विंध्याचल पर्वत पूरी दुनिया में सिद्ध पीठ के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर स्वयं शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ है. 

• यहां पर साक्षात शक्ति स्वरूपा प्रकट हुई इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. 

• ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी मां विंध्यवासिनी की उपासना करते हैं. 

• मां विंध्यवासिनी की पूजा के अवसर पर देश के अलग-अलग राज्यों में विंध्यवासिनी मां की उपासना की जाती है. 

• सभी भक्त सच्चे मन से मां विंध्यवासिनी की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. 

• मां विंध्यवासिनी अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देती हैं जिससे भक्तों का जीवन सुख पूर्वक व्यतीत होता है. 

• विंध्यवासिनी पूजा देवी काली के ही एक स्वरूप को समर्पित है. इसलिए इस पूजा को हमेशा ज्ञानी पंडितों की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए. 

• विंध्यवासिनी मां को विंध्याचल पर्वत का संरक्षक माना जाता है. 

• विंध्यवासिनी मां के आसन को भक्तों द्वारा सबसे पवित्र शक्तिपीठ के साथ ही मां विंध्यवासिनी को प्रेम और दया का प्रतीक भी माना जाता है. 

• विंध्याचल देवी मंदिर एक बहुत बड़ी विशाल संरचना है. जो विंध्याचल शहर के सबसे व्यस्त बाजार के बीच में मौजूद है. 

• विंध्यवासिनी मां की मूर्ति एक शेर पर विराजमान है. इस मूर्ति को काले रंग के पत्थर से तराशा गया है. 

• लोक कथाओं के अनुसार महिषासुर राक्षस का वध करने के पश्चात मां विंध्यवासिनी ने विंध्याचल पर्वत को ही अपना निवास स्थान बनाया. 

• अपने सर्वश्रेष्ठ काल में विंध्याचल अपने खूबसूरत मंदिरों और इमारतों के लिए प्रसिद्ध था, पर मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में इन सभी चीजों को नष्ट कर दिया गया.

• इनमें से कुछ इमारते और मंदिर आज भी सुरक्षित हैं. यहां पर देवी सीता को समर्पित रामायण कालीन सीताकुंड भी मौजूद है. 

• विंध्याचल में ही देवी काली को समर्पित काली कोह प्राचीन मंदिर भी मौजूद है.

• मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्री रामचन्द्र जी,सीता जी के साथ विंध्याचल आए थे. 

• यहाँ पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने ज्योतिर्लिंग स्वरुप रामेश्वरम की स्थापना की थी जिसके कारण इस शक्तिपीठ की महानता और भी अधिक हो जाती है.