माता महालक्ष्मी की पूजा कैसे करें
माता महालक्ष्मी की पूजा करने लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
उसी समय स्नान और रोजाना के नित्य काम से निवृत्त होने के बाद पूजा-अर्चना की तैयारी शुरू की जाती है।
देवी मां को प्रसाद में चढ़ाई जाने वाली चीजें भक्तगण खुद अपने हाथसे तैयार करते हैं। इसमें मिठाईयां और अन्य चीजें शामिल हैं।
इसके बाद मिट्टी की मदद से हाथी पर बैठी हुई महालक्ष्मी की मूर्ति बनाई जाती है।
मां के इस रूप को हम गजलक्ष्मी के नाम से जानते हैं। आप चाहें,मां के इस रूप की मूर्ति लाकर उसकी स्थापना कर पूजा कर सकते हैं।
मूर्ति की स्थापना करने से पहले चौकी तैयार करें,उसे फूलों से सजाएं। इसे बाद इस पर मां की मूर्ति रखें।
महालक्ष्मी की पूजा करने के लिए सोलह गांठों वाला महालक्ष्मी सूत्र तैयार किया जाता है।
इसके बाद कुमकुम और चंदन से इसकी पूजा की जाती है। इस सूत्र को बाएं हाथ में बांधा जाता है।
सोलह दिनों के बाद इसे किसी नदी या पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है। यह सूत्र भक्तगणों को संकट से बचाता है और सुरक्षा प्रदान करता है।
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