महेश नवमी से जुडी विशेष बाते|
• मान्यताओं के अनुसार जिन महिलाओं की संतान होती है, वो लोग इस दिन भगवन शिव की विशेष पूजा करती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
• एक किंवदंती के अनुसार राजा खंडेलसेन की कोई संतान नहीं थी। वो भगवान शिव के साथ परम भक्त थे।
• संतान प्राप्त करने के लिए राजा खण्डेलसेन ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिसके फलस्वरूप राजा के यहाँ एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम सुजनसेन रखा गया।
• एक अन्य किवदंती के अनुसार महेश नवमी के दिन बहुत सारे शिकारी एक ऋषि के आश्रम में आए और आश्रम की सुख और शांति भंग कर दी।
• यह देखकर ऋषि बहुत क्रोधित हो गए और शिकारियों को पत्थर बनने का शाप दे दिया।
• शिकारियों की पत्नियों ने तब भगवान शिव से प्रार्थना की और अपने पतियों को शाप से मुक्त करवाने का उपाय पूछा।
• तब भगवान शिव ने उन्हें महेश नवमी का व्रत करने के लिए कहा और शिकार करना छोड़कर किसी अन्य व्यवसाय में शामिल होने के लिए कहा।
• तब सभी महिलाओं ने पूरी श्रद्धा के साथ महेश नवमी का व्रत किया।
• महेश नवमी के व्रत के प्रभाव से सभी शिकारी अपने असली रूप में आ गए। भगवान् शिव की बात मानकर शिकारियों और उनके परिजनों ने शिकार करना छोड़ दिया और व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित किया और उन्होंने अपने समुदाय का नाम माहेश्वरी समुदाय रखा।
• जिससे भगवान महेश शिव को अपने प्रेम और भक्ति के विश्वास दिला सके।