मासिक कार्तिगाई अनुष्ठान -
महापुरुषों ने माना कि यह श्रद्धापूर्ण दिन हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान शिव को पूरी तरह से समर्पित है। परम देवताओं की तिकड़ी की पूजा पूरे-विधि विधान से की जाती है । इस त्यौहार की महिमा इसे ही पता चलती है कि किस प्रकार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भक्त अपने घर को साफ करते हैं और सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करते हैं।
उसके बाद पूजा वेदी तैयार की जाती है, और भगवान मुरुगन की मुर्ति पर पुष्प माला अर्पित की जाती है।
आटा, घी और गुड़ से तैयार एक दीपक जलाया जाता है जो बहुत शुभ माना जाता है।
सुब्रह्मण्य कवचम और कंडा षष्ठी कवचम का जाप करके पूजा की जाती है।
अगरबत्ती, चंदन, हल्दी का लेप और सिंदूर भगवान को चढ़ाया जाता है।
भक्त भोग के रूप में कई व्यंजनों को तैयार करते हैं।
बाद में आरती को सुब्रह्मण्य के लिए किया जाता है।
कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। उपवास भोर के दौरान शुरू होता है और शाम के दौरान समाप्त होता है। सुबह के साथ-साथ शाम को भी पूजा की जाती है।