कैसा है देवी गायत्री का स्वरुप|
धर्मग्रंथों के अनुसार माँ गायत्री को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का ही एक विशेष स्वरुप माना जाता है और इसी कारण इन्हें त्रिमूर्ति मानकर ही पूरी श्रद्धा के साथ इनकी खूब श्रद्धा के साथ उपासना भी की जाती है। देवी माँ गायत्री जी के स्वरुप का वर्णन इस प्रकार से किया जाता है कि इनके पांच मुख और दस हाथ है।
और उनके पांच में से चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं तो वहीं देवी मां का पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति होने का संदेश देता है। गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन गीता में भी किया गया है। देवी माँ के स्वरुप की महिमा इनके दस प्रकार के हाथों के वर्णन किये बिना अधूरी है और इस प्रकार से उनके दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक हैं। यही नहीं अपितु त्रिदेवों की आराध्य भी माँ गायत्री को ही माना गया है ।