गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
अर्थात: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप,
परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें।
वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
क्या है गायत्री मंत्र के फायदे
गायत्री मंत्र के लाभों का उल्लख महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी नें भी किया है। उन्होनें इसका व्याख्यान करते हुये कहा है कि जिस प्रकार फूलों में शहद और दूध में घी होता है, ठीक उसी प्रकार से समस्त वेदों का सार देवी गायत्री हैं और उनके मंत्र का महिमा अपार है। यदि किसी प्रकार गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो यह सभी प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने वाली कामधेनु गाय के समान हैं। गायत्री मंत्र करने मनुष्य की आध्यत्मिक चेतना का पूर्ण विकास होता हैं और साथ ही साथ इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक निरंतर जप करते रहने से आपके सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता हैं क्योंक देवी माँ भक्त के चारों ओर रक्षा-कवच का निर्माण स्वयं करती हैं। और यही कारण है कि योगपद्धति में भी माँ गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता हैं।
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