गायत्री जयंती
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि गायत्री जयंती ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में ग्यारहवें दिन बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण विशेष श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गुरु विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को इस दिन सबसे पहले सर्वसाधारण अर्थात् आम जनता के लिए बोला था और उसके बाद भक्तगण इसका अनुसरण करते है।
गुरु विश्वामित्र के बोले जाने के पश्चात इस पवित्र एकादशी को गायत्री जयंती के रूप में हर साल मनाया जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि इसे श्रावण पूर्णिमा के समय भी मनाना बहुत ही शुभ माना जाता है। यही नहीं अपितु ऐसा कहा जाता है कि सभी प्रकार के चारों वेद, पुराण, श्रुतियाँ भी सभी गायत्री से ही उत्पन्न हुए हैं, और इसी कारण इन्हें वेदमाता की संज्ञा दी गयी है।