देव शयनी एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान|
देव शयनी एकादशी के दिन जो भी मनुष्य कमल के फूलों से भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे तीन लोकों के देवताओं की पूजा का पुण्य प्राप्त होता है. चतुर्मास्य में कुछ चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए. जैसे- श्रावण मास में साग, भादो के महीने में दही, क्वार के महीने में दूध और कार्तिक में दालों का सेवन नहीं करना चाहिए. देव शयनी एकादशी के दिन घर और मंदिरों में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. देव शयनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाने के लिए दशमी तिथि के दिन ही तुलसी के पत्ते तोड़ ले. देवशयनी एकादशी के दिन चावल का सेवन ना करें. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को शयन अवश्य कराएं. इस दिन भगवान विष्णु को शयन कराए बिना देवशयनी एकादशी की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है. देव शयनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए. देवशयनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है. देव शयनी एकादशी के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न का दान करना शुभ माना गया है. इस दिन अन्न का दान करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है. देव शयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करें. भगवान विष्णु को पीली चीजें बहुत प्रिय हैं, इसलिए देव शयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले भोजन का भोग लगाएं. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को दक्षिणावर्ती शंख से जल चढ़ाएं.