निर्जला एकादशी और भीमसेनी एकादशी महत्व|
इस व्रत का बहुत ही खास महत्व बताया गया है । ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी और भीमसेनी एकादशी के रुप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और इस व्रत में पानी पीना निषेध है और इसी कारण इसे निर्जला एकादशी के रुप में मनाया जाता है। यदि किसी कारणवश आप नदी में स्नान नहीं कर सकते है इस शुभ दिन तो अपने नहाने के जल में गंगाजल की बूंदे डालकर उसे शुद्ध कर लें। इस दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करने से भक्त को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। इस कथा को पढने से सहस्त्र गोदान को जितना पुण्य भक्त को प्राप्त होता है।
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