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माँ पीतांबरा जी की आरती

माँ पीतांबरा जी की आरती 
 
जय पीताम्बरधारिणि जय सुखदे वरदे, मातर्जय सुखदे वरदे।
भक्तजनानां क्लेशं, भक्तजनानां क्लेशं सततं दूरकरे।।
जय देवि जय देवि ।। 1 ।।

असुरै: पीडितदेवास्तव शरणं प्राप्ता:, मातस्तवशरणं प्राप्ता:।
धृत्वा कौर्मशरीरं, धृत्वा कौर्मशरीरं दूरीकृतदु:खम्।।
जय देवि जय देवि ।। 2 ।।

मुनिजनवन्दितचरणे जय विमले बगले, मातर्जय विमले बगले।
संसारार्णवभीतिं, संसारार्णवभीतिं नित्यं शान्तकरे।।
जय देवि जय देवि ।। 3 ।।

नारदसनकमुनीन्द्रैर्ध्यातं पदकमलं, मातर्ध्यातं पदकमलम्।
हरिहरद्रुहिणसुरेन्द्रै:, हरिहरद्रुहिणसुरेन्द्रै: सेवितपदयुगलम्।।
जय देवि जय देवि ।। 4 ।।

काञ्चनपीठनिविष्टे मुद्गरपाशयुते, मातर्मुदगरपाशयुते।
जिह्वावज्रसुशोभित, जिह्वावज्रसुशोभित पीतांशुकलसिते।।
जय देवि जय देवि ।। 5 ।।

बिन्दुत्रिकोणषडस्त्रैरष्टदलोपरि ते, मातरष्टदलोपरि ते।
षोडशदलगतपींठ, षोडशदलगतपीठं भूपुरबृत्तयुतम्।।
जय देवि जय देवि ।। 6 ।।

इत्थं साधकवृन्दश्चिन्तयते रूपं, मातश्चिन्तयतेरूपं।
शत्रुविनाशकबीजं, शत्रुविनाशकबीजं धृत्वा हृत्कमले।।
जय देवि जय देवि ।। 7 ।।

अणिमादिकबहुसिद्धिं लभते सौख्यतुतां, मातर्लभते सौख्ययुत्ताम्।
भोगान् भुक्त्वा सर्वान् भोगान् भुक्त्वा सर्वान गच्छति विष्णुपदम्।।
जय देवि जय देवि ।। 8 ।।

पूजाकाले कोऽपि आर्तिक्यं पठते, मातरार्तिक्यं पठते।
धनधान्यादिसमृद्धो, धनधान्यादिसमृद्ध: सान्निध्यं लभते।।
जय देवि जय देवि ।। 9 ।।

 
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