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शिव-पार्वती व् लक्ष्मी नारायण के पूजन की परंपरा

शिव-पार्वती व् लक्ष्मी नारायण के पूजन की परंपरा – 


सुख, सौभाग्य, शांति और स्मृद्धि हेतु इस दिन पूरी विधि-विधान से शिव-पार्वती और लक्ष्मी नारायण पूजा का विधान है। इस विशेष दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखना होता और यह व्रत गंगा-जमुनादी तीर्थो में स्नान कर अपनी शक्तिनुसार देवस्थल व घर में ब्राह्मणों द्वारा किये गये यज्ञ, होम, जप, दानादि जैस बहुत ही शुभ काम किये जाते है और इसस बहुत ही उन्नत व अक्षय फल की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि तृतीया तिथी मां गौरी जी की तिथि है और इस दिन इनकी आराधना करने से घर में सुख शांति की प्राप्ति होती है ।


इस दिन यदि अविवाहित महिला या पुरुष भगवान शिव जी और माता पार्वती की आराधना करें पूरी श्रद्धा-विश्वास के साथ तो उन्हें बहुत ही सफल और साथ ही साथ वैवाहिक सूत्र में जुड़ने को पवित्र अवसर प्रदान होता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के शुभ दिन यानी अक्षय तृतीया के दिन सभी तरह के जप-तप, दान, स्नानादि जैसे शुभ कार्यों का बहुत ही विशेष महत्तव है और इसका फल बना रहेगा।