Indian Festivals

दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी पूजन विधि

हिंदू धर्म में दिवाली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है.  अमावस्या की रात बहुत काली होती है. इसलिए इस दिन दिए जलाकर चारो तरफ रौशनी की जाती है. दीपावली का दिन माँ लक्ष्मी की उपासना करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इसीलिए दीपावली के दिन पूरी श्रद्धा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए दीपावली का दिन बहुत ही शुभ होता है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की पूजा का भी नियम है.
 
दीपावली का त्यौहार धनतेरस के दिन शुरू होता है और कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीय तिथि को  पूरा होता है. दीपावली का त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है. जो लोग अपने घर में धन, सुख और समृद्धि लाना चाहते हैं और साथ ही स्वस्थ रहना चाहते हैं उन्हें इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए. धनतेरस के दिन नया बर्तन खरीदना शुभ होता है. शाम के समय नए बर्तन में मिठाई रखकर महालक्ष्मी के सामने भोग लगाया जाता है. जो मनुष्य इस दिन अनावश्यक धन खर्च करता है उसके घर में हमेशा धन की कमी बनी रहती है. धनतेरस के दिन कभी भी किसी को ऋण नहीं देना चाहिए. जो लोग इस दिन अनावश्यक धन खर्च नहीं करते हैं उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है. धनतेरस के दिन शाम के समय यमराज के नाम से दीपक निकालना चाहिए. ऐसा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है. दीपदान करते समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए.
 

दिवाली पूजा के लिए निम्नलिखित चार समय का बहुत अधिक महत्व है:

1.  प्रदोष काल

2.  स्थिर लगन

3.  निशीथ काल

4.  महानिशीथ काल

**यदि ऊपर दिए गए कालों में स्थिर लगन के साथ शुभ चौघड़िया भी आजाए अर्थात (काल समय+स्थिर लगन+शुभ चौघड़िया) तो, सभी समय की गणनाओ को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मी पूजा उसी समय में करें, किसी कारणवश इस समय में पूजा ना कर पाएं तो अन्य दिए गए समय में पूजा अवश्य करें**

 

ॐ श्रीं श्रीए नमः 
 
धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली के रूप में भी मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन महालक्ष्मी के मुनीम कुबेर की पूजा करने का नियम है. नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्योदय के पहले ब्रह्म मुहूर्त ( सुबह 4 बजे ) उठकर लौकी को अपने सर पर घुमाकर स्नान किया जाता है. ऐसा करने से मृत्यु के पश्चात नर्क में जाने का भय खत्म हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा था.
 
नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिवाली के दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में अपने घर या दुकान में लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं. अब इसके ऊपर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को स्थापित करके फूलों की माला पहनाए. अब उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान के सामने धूप और अगरबत्ती जलाएं, साथ ही शुद्ध घी के पांच दीपक प्रज्वलित करें. मां लक्ष्मी के सामने जल से भरा कलश रखें और कलश में मौली बांधकर स्वास्तिक बनाएं. अब मां लक्ष्मी और गणेश जी को तिलक लगाकर फूल अर्पण करें. इसके पश्चात हाथ में फूल, अक्षत, सिक्का, सुपारी और जल लेकर संकल्प करें. संकल्प लेने के बाद हाथ में लिया हुआ जल, फूल, अक्षत लक्ष्मी और गणेश के सामने रख दें.  अब विधिपूर्वक मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करें. अगर आप दीपावली के दिन स्फटिक, सन सितारा, पारद, श्री यंत्र, लक्ष्मी गणेश, शिवलिंग, कुबेर यंत्र या कनकधारा यंत्र खरीदते हैं तो उन्हें भी मां लक्ष्मी के सामने रखकर उनकी पूजा करें.
 
दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ-साथ कुबेर और श्री यंत्र की पूजा करना भी शुभ होता है. ऐसा करने से आपके घर में स्थाई रूप से मां लक्ष्मी का निवास बना रहता है. मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करने के बाद स्फटिक या कमल गट्टे की माला से नीचे दिए गए मंत्र का जाप करे.
 
ॐ श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः 
 
अब अपने घर में जहां पर आप पैसे और ज़ेवर रखते हैं वहां पर घी का एक दीपक जलाएं. एक दीपक गंगा नदी के नाम का भी जलाएं. घर के बाकी जगहों पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. दिवाली के दिन चौराहे पर भी एक दीपक जलाना चाहिए. जो लोग अपने घरों में तांत्रिक वस्तुए रखते हैं इस दिन उन्हें भी पूजा में रखकर उनकी पूजा करनी चाहिए. यदि आप अपने जीवन की सभी समस्याओं को दूर करके अपने घर में सुख और समृद्धि लाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए उपायों को आजमाएं.  इन तरीकों को आजमाकर आप लक्ष्मी का सुख पा सकते हैं.
 
1- दिवाली के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. दीपावली की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे  सरसों के तेल का दीपक जलाने से आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएँगी.  और आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी.
 
2- मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पीतल से बने अभिमंत्रित लॉकेट में अपनी क्षमता अनुसार मोती या मूंगा जड़वा कर अपने गले में पहने.
 
3- माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए आप दिवाली के दिन अपने गले में माँ लक्ष्मी का लॉकेट धारण करें. ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन से जुडी सभी समस्याएं भी खत्म हो जाती है.
 
4- दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि पाने के लिए श्री सूक्त का पाठ करें.
 
इस दिन लक्ष्मी मां की कृपा पाने के लिए लेखनी और बही खाते का भी पूजन करना चाहिए. यदि आपके पास नया बहीखाता और लेखनी नहीं है तो तो पुरानी लेखनी और बहीखाता भी ले सकते हैं.  इसके लिए सबसे पहले लेखा और वही खाता लेकर उसके ऊपर स्वास्तिक का चित्र बनाएं. अब इसके चारों तरफ श्री सरस्वताये नमः  लिखकर  नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें.
 
ओम भूर भुवः  स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात्
 
अब धूप, दीप, फुल, गंध आदि से मां सरस्वती का पूजन करें. दिवाली के दिन तिजोरी पूजन का भी नियम है. तिजोरी पूजन के लिए सबसे पहले नीचे दिए गए मंत्र का जाप करके मां लक्ष्मी का आवाहन करें.
 
ॐ एम क्लीं श्रीं 
 
अब श्री कुबेराय नमः कहकर हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें. अगर आप बहुत ज्यादा कर्ज में डूब गए हैं तो दिवाली के दिन आप ऋण मुक्ति के लिए भी उपाय कर सकते हैं.
 
1- यदि आप क़र्ज़ से मुक्ति पाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए मंत्र का जाप करके मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें
 
 ॐ श्रीं ॐ

2- अगर आप लगातार कर्ज में डूबे जा रहे हैं तो दिवाली के दिन श्मशान में मौजूद कुएं का जल भरकर पीपल के पेड़ को अर्पित करें. इस प्रक्रिया को दीपावली के दिन से शुरू करके छह शनिवार तक लगातार करें. ऐसा करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी.
 
3- कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गणेश स्त्रोत का पाठ करना भी शुभ होता है. दीपावली के दिन रात के समय गणेश स्रोत का पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है.
 
4- ऋण से मुक्ति पाने के लिए दीपावली के दिन महानिशा काल में पांच लाल गुलाब के खिले हुए फूल ले ले. अब डेढ़ मीटर सफेद कपड़े को बिछाकर इसमें गुलाब के फूल रखें. अब गायत्री मंत्र पढ़ते हुए इस कपड़े को बांध दें और किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित करें. ऐसा करने से आपको क़र्ज़ से मुक्ति मिल जाएगी.
 
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