थाई अमावस्या का महत्व
थाई अमावस्या को पहली अमावस्या भी कहा जाता है जो कि उत्तरायण काल में आती है । हिंदु धर्म में इसका बहुत ही अधिक महत्व है। इस दिन विभिन्न पूर्वजों के प्रति किये गये अनुष्ठानों का एक विशेष महत्व है और इसीलिये बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर दिवंगत आत्माओं का आशीर्वाद लेने से एक विशेष प्रकार का सुख भी मिलता है।
थाई अमावस्या के अनुष्ठान
थाई अमावस्या पूरी तरह से पूर्वजों को याद करने का दिन है। इस दिन मन को साफ रखते हुये पूर्वजों को याद किया जाता है।
यह विशेष रूप से और भी अधिक पवित्र माना जाता है यदि श्राद्ध समारोह को किसी तरह के पवित्र स्थानों जैसे तीर्थस्थलों, समुद्र तटों और पवित्र नदियों या जल निकायों के तट पर किया जाता है क्योंकि इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
इसीलिये इस दिन बहुत ही भारी मात्रा में लोग दिवंगत आत्माओं की स्मृति के लिये विभिन्न तरह के अनुष्ठान करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये पवित्र स्थलों की ओर कूच करते है जैसे- हरिद्वार, प्रयाग त्रिवेणी संगम (इलाहाबाद), रामेश्वरम, कन्याकुमारी और अन्य प्रसिद्ध नदी घाट जैसे स्थानों
इस दिन पूर्वजों को याद करते हुये उनकी पसंदीदा वस्तुओं का दान जरुरतमंदों के बीच करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा किसी भी प्रकार का दान भी दिया जाता है।
थाई अमावस्या का अवलोकन करने के लाभ
थाई अमावस्या के पावन दिन पर पूर्वजों का अभिवादन करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते है जैंसे –
आपके सभी प्रकार के पित्र दोष का नाश हो जाता है अर्थात् आपकी कुंडली से यह दोष समाप्त हो जायेगा।
भक्त को स्वास्थ्य, धन, सफलता, शांति और खुशी आशीर्वाद मिलता है
यदि किसी प्रकार का तनाव पारिवारिक रिश्तों में चल रहा है तो आपको इससे मुक्ति मिल जाती है।